तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव गा ।
धमनी के घाट मा बोईर तरी रे ।।
लकर धकर आये जोही, आंखी ला मटकाये गा,
कईसे जादू करे मोला, सुख्खा म रिझाये गा ।
चूंदी मा तैं चोंगी खोचे, झूलूप ला बगराये गा,
चकमक अउ सोन मा, तैं चोंगी ला सपचाये गा ।
चोंगी पीये बइठे बइठे, माडी ला लमाये गा,
घेरी बेरी देखे मोला, हांसी मा लोभये गा ।
जातभर ले देखेंव तोला, आंखी ला गडियायेंव गा,
भूले भटके तउने दिन ले, हाट म नई आये गा ।
पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र‘
बहुत सुन्दर गीत हे , एहर बहुत लोक – प्रिय घलाव हे । अद्भुत – शब्द – चित्र ।